उत्तर भारत के राज्य (800 ईसवी से 1200ई )part-२.१

आप सभी का आज के इस पोस्ट में भी स्वागत करते हैं इससे पहले के पोस्ट मे आपने दक्षिण भारत के राज्यों के बारे मे जाना होगा अगर नहीं जाना तो उस पोस्ट को ओपन करके देख सकते हो वहां पर आपको दक्षिण भारत से संबंधित कुछ जानकारी मिल जाएगी इस पोस्ट में हम उत्तर से संबंधित टॉपिक और वहां पर जो वंश आकर बसे उनकी उत्पत्ति कैसे हुई यह जानेंगे।
जानने से पहले आपसे मैं अनुरोध करता हूं कि आप अपने दोस्तों को भी ऐसे पोस्ट के बारे में बताते रहे जिससे उनकी जनरल नॉलेज अच्छी और मजबूत हो जाए क्योंकि कॉन्पिटिशन में जाना नलेज होना बहुत जरूरी ज्यादा नॉलेज नहीं रहेगा तो कॉन्पिटिशन को जीतना मुश्किल हो जाता है और मैं नहीं चाहता कि देश का कोई भी व्यक्ति कॉन्पिटिशन में पीछे रहें मैं उस हर व्यक्ति को कॉम्पिटीज या किसी भी नौकरी से संबंधित एग्जाम की तैयारी के हिसाब से ही नॉलेज हर पोस्ट में आपके लिए लाते रहता हूं तो हम ज्यादा बात ना करते हुए हमारे पोस्ट की तरह हमारे टॉपिक की तरह आगे बढ़ते हैं।

यह उस समय की बात है जब 647 ईसवी में हर्षवर्धन नाम का व्यक्ति था जिसकी मृत्यु के पश्चात उसका साम्राज्य टुकड़ों में विभाजित हो गया था क्योंकि उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था ऐसी स्थिति में अनेक क्षेत्र के राज्यों का उदय होने लगा इन राज्यों में शासन करने वाले राजवंश , राजपूत राजवंश के नाम से जाने गए थे। इन सभी में प्रमुख- गुर्जर प्रतिहार ,पाल ,कलचुरी ,परमार, चौहान ,चालुक्य बहुत से वंश थे। इन सभी में राजपूत अपनी वीरता शौर्य साहस और मातृभूमि के प्रति अपने आप को पूरी तरह से समर्पित करने के लिए जाना जाता था जिससे कोई दूसरा राजा नहीं टिक पाता था। 

अब सवाल यह उठता है कि राजपूत की सामने कोई भी राजा नहीं टिक पाता था तो राजपूत की उत्पत्ति कैसे हुई होगी आदि सभी सवाल सामने आ रहे थे वहां सबको स्टेप बाय स्टेप समझते हैं।

राजपूतों की उत्पत्ति
  राजपूतों की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में विभिन्न लोग हैं अधिकांश भारती इतिहासकार इन्हें वैदिक कालीन क्षत्रियों से उत्पन्न मानते आ रहे हैं।
1 गुर्जर प्रतिहार वंश     भारत में प्रति हारों की तीन शाखाओं ने शासन किया इनमें से प्रमुख शाखा की बात किया जाए तो यहां उज्जैन के प्रतिहार वंश की है इस वंश का संस्थापक नागभट्ट प्रथम था इस वंश के राजाओं ने मध्य प्रदेश गुजरात उत्तर प्रदेश राजस्थान के कुछ भागो पर लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से शासन किया नागभट्ट प्रथम ,वत्सराज ,नागभट्ट द्वितीय , मिहिर भोज तथा महेंद्र पाल इस  वंश के प्रमुख शासक थे। प्रतिहार ,पाल तथा दक्षिण के राष्ट्रकूट के मध्य कन्नौज पर अधिकार करने के लिए लंबे समय तक युद्ध चलता रहा। इस युद्ध को त्रिकोणीय संघर्ष के नाम से जा ना जाता हैं । प्रतिहार शासक महिर भोज इस वर्ष का सर्वाधिक प्रतापी शासक था प्रतिहार शासकों ने उत्तरी भारत में कुछ समय के लिए राजनैतिक एकता का स्थापना किया।
647 ईसवी में सम्राट हर्ष की मृत्यु के बाद अनुज पर अधिकार करने के लिए 800 ईस्वी से 1200 ईसवी तक राष्ट्र कूट, पाल वंश, गुर्जर प्रतिहार अन्य राजपूत वंश में लगातार संघर्ष चलता रहा।
तो अभी तक हमने गुर्जर प्रतिहार वंश के बारे में जाना अब दूसरे नंबर पर आते हैं।
2.पाल वंश  पाल वंश का मूल स्थान बंगाल था यह आठवीं सदी के मध्य में उत्तर भारत में एक बड़ा साम्राज्य बंगाल के पाल शासकों ने स्थापित किया। कन्नौज को प्राप्त करने के लिए पाल शासक ने प्रतिहार और राष्ट्रकूट वंश के बीच बहुत वर्षों तक संघर्ष किया। गोपाल पाल, धर्मपाल ,देव पाल आदि सभी इस वंश के पराक्रमी राजा थे।
पाल वंश के राजा शिक्षा और धर्म के संरक्षक थे धर्मपाल ने विक्रमशिला के बौद्ध मठ का स्थापना किया था।
विक्रमशिला कालांतर में एक महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र का रूप ले लिया जहां पर आज लगभग हजारों लोग शिक्षा ग्रहण करते है।
3. चालुक्य वंश चालुक्य वंश गुजरात के सोलंकी वंश का शासक संस्थापक मूल राजा हुआ करते थे इस वंश के राजा भीम प्रथम भीम के समय महमूद गजनबी का आक्रमण गुजरात की ओर से हुआ जिसमें हिंदू वीरता से लड़े किंतु उनकी पराजय हो गई थी महमूद गजनबी ने गुजरात में स्थित प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर दिया मंदिर तथा मूर्ति को थोड़ा और बहुत सारा धन राशि लेकर चले गए।
4. परमार वंश परमार वंश के प्रमुख शासक श्री हर्ष, मंजू ,सिंधु राज ,भोजदेव, जय सिंह और उदयादित्य थे। श्रीहर्ष प्ले राष्ट्रकूट ओ को पराजित करके मालवा में स्वतंत्र राज्य की स्थापना किया और इंदौर के निकट धारा नगरी को अपनी राजधानी बना लिया इस वंश का प्रमुख शासक भोज देव, महान विजेता, उच्च कोटि, का लेखक ,कवि और विद्वान था। उसकी राज्यसभा में अनेक विद्वान और कवि रहते थे स्वयं राजा भोज ने कुछ ग्रंथ लिखे थे अनेक राज प्रसाद मंदिर तालाब भी बनवाया था उसने आधुनिक भोपाल से 35 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में भोजपुर बसाया जहां का शिव मंदिर प्रसिद्ध है।
मध्य प्रदेश की राजधानी का प्राचीन नाम भोज पाल जो कालांतर में भोपाल के नाम से प्रसिद्ध है।
5. चौहान वंश : चौहान वंश का राज्य राजपूताना के मध्य में था प्रारंभ में यह गुर्जर प्रतिहार के समान थे किंतु विग्रहराज ने तोमर को हराकर चौहान वंश के स्वतंत्र राज्य की न्यू डाली 12 वीं सदी के शुरुआत में अजय राज चौहान ने अजमेर जिसे प्राचीन में अजय मेरु के नाम से जानते थे इस नगर की नीव डाली और वहां अनेक महलवार मंदिर का निर्माण किया चौहान वंश का महान प्रतापी शासक पृथ्वीराज चौहान माना जाने लगा जिसके वीरता पूर्ण कार्य का वर्णन कवि चंदबरदाई ने पृथ्वीराज रासो नामक ग्रंथ में किया है। पृथ्वीराज ने गुजरात के सोलंकी आवर बुंदेलखंड के, चंदेल तथा कन्नौज के जयचंद से युद्ध किया भारती इतिहास में पृथ्वीराज चौहान का सम्मानजनक स्थान है सन 736 ईसवी में तोमर वंश के अनंगपाल ने दिल्ली का नगर बसाया था।
इन प्रमुख राजपूतों के अतिरिक्त राजाओं के अतिरिक्त संपूर्ण भारत में अनेक छोटे-छटे राज्य थे जैसे बुंदेलखंड के चंदेल ,मेवाड़ के गहलोत, दिल्ली व हरियाणा के आसपास के तोमर इनके अतिरिक्त नेपाल, कामरूप और उत्कल के राज्य और पंजाब के पर्वतीय राज्य चंबा, कुल्लू और जम्मू के नाम मौजूद है।
आप सभी हमारे पोस्ट में इसी प्रकार बनी रहे हम पार्ट टू पॉइंट दो को भी लेकर आएंगे 2.2 में आपके लिए कुछ नया आएगा जिसमें भारत पर तुर्कों का आसमान और राज कैसे हुआ उसके अतिरिक्त कोच भारत से जुड़ी अर्थव्यवस्था धार्मिक स्थिति समाज काला आदि सभी से जुड़े चीजों को भी पढ़ेंगे हमारे अगले पोस्ट में 2.2 के साथ बने रहे दोस्तों को भी बुलाइए और देश के बारे में जानकारी देते रहिए। हमारा देश महान है।

Comments