उत्तर भारत के राज्य (800 ईसवी से 1200ई )part-२.२
भारत पर तुर्कों का आक्रमण
- * महमूद गजनवी ने सन 1025 ईस्वी में सोमनाथ के प्रसिद्ध मंदिर को नष्ट किया वह संपत्ति को लूट लिया और पूरा मंदिर खाली करके चला गया।
- * इसी काल में मध्य एशिया का प्रसिद्ध विद्वान अलबरूनी भारत आया था उसकी पुस्तक "तहकीक- ए- हिंद" से हमें तत्कालीन भारत की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुआ।
ट्रकों के पुनः आक्रमण -
महमूद गजनवी के आक्रमण के लगभग 150 वर्षों के पश्चात अफगानिस्तान की एक छोटी-सी रियासत गौर के शासक मोहम्मद गौरी ने पश्चिम उत्तर भारत पर आक्रमण किया। भारतीय राजाओं के आपसी संघर्ष का लाभ उठाते हुए गौरी नेशन 1175 सी में भारत पर पहला आक्रमण कर के मुल्तान तथा सिंध पर अधिकार कर लिया था।
सन 1178 सी में उसने गुजरात की ओर से आक्रमण किया जहां उसे राजपूत नरेश मूलराज ने पराजित कर दिया था। इसके पश्चात गौरी ने पंजाब पर 3 बार आक्रमण किए और 1186 ईसवी में पंजाब को जीत लिया था इस विजय के साथ गौरी के राज्य की सीमाएं अजमेर और दिल्ली के शक्तिशाली राजपूत नरेश पृथ्वीराज चौहान के राज्य से टकराने लगी सन 1190 में गौरी ने भांतिदा के किले पर आक्रमण किया वह उसे पृथ्वीराज चौहान का सामना करना पड़ा दोनों के बीच 1191 में ताराइन का प्रथम युद्ध हुआ जिसमें पृथ्वीराज की वीरता और साहस के आगे गौरी टिक नहीं पाया पराजित होकर बहुत ही घायल हो चुका था जिसके कारण गौरी वह से भाग गया।
1192 में गौरी ने पुनः भारत पर आक्रमण किया और तारा इन के मैदान में दोनों सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ। तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज की हार हुई इस वजह से तुर्कों का अधिकार अजमेर, दिल्ली, हांसी (हरियाणा) पर कब्जा हो गया गौरी ने भारत के जीते हुए प्रदेशों की शासन व्यवस्था का कार्य अपने एक गुलाम सेनानायक कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंप दिया।
- *पृथ्वीराज चौहान की हार और मोहम्मद गौरी की जीत ने भारत में मुस्लिम राज्य की नियुक्त डाल दिया था जिसके वजह से भारत को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ा।
- *आक्रमणकारियों ने अजमेर को खूब लूटा और वह विशाल देव द्वारा निर्मित प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र को मस्जिद में परिवर्तित कर दिया जिसे "अडई दिन का झोपड़ा" कहां जाता है।
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